भारत में ट्रस्ट

How to Establish a Religious Trust: legal Insights into Private Trusts

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धार्मिक ट्रस्ट कैसे बनाएं ? ट्रस्ट कौन बना सकता है ?

धार्मिक ट्रस्ट कैसे बनाएं

धार्मिक ट्रस्ट बनाने के लिए संबंधित राज्य के देवस्थान विभाग में ट्रस्ट डीड के निर्माण करने के पश्चात रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है | रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रत्येक राज्य में भिन्न-भिन्न है | रजिस्ट्रेशन में लगने वाला समय भी अलग-अलग है | धार्मिक संपत्ति का विवरण , उद्देश्यों का विवरण,ट्रस्ट के सृजन कर्ता  तथा न्यासियों के नाम और एड्रेस का विवरण,फोटो और व्यक्तिगत पहचान पत्र अदि स्व हस्ताक्षर युक्त संलग्न करके एवं अन्य संबंधित दस्तावेज पर संबंधित व्यक्तियों के हस्ताक्षर के पश्चात कानून अनुसार दस्तावेज निष्पादन करके धार्मिक ट्रस्ट बनाया जा सकता है | संविदा करने में सक्षम और दायित्व निर्वहन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति ट्रस्ट का पंजीकरण नियम अनुसार करवा कर  ट्रस्ट बना सकते  है |

भारत में एक धर्मार्थ ट्रस्ट क्या है ?

 

भारत में एक धर्मार्थ ट्रस्ट पुण्यार्थ कार्य करने के लिए विधि अनुसार स्थापित किया जाता है इसके उद्देश्य और कार्य क्षेत्र विधान अनुसार परिभाषित होते हैं |

भारत में ट्रस्ट का सदस्य कौन बन सकता है ?

 

सामान्यतया कोई भी ऐसा व्यक्ति ट्रस्ट का सदस्य हो सकता है जो कि ट्रस्ट के उद्देश्य में विश्वास रखता हो,स्वस्थ चित्त  हो, पागल और दिवालिया नहीं हो , किसी न्यायालय द्वारा किसी अपराध के लिए दोष  सिद्ध नहीं हुआ हो , वयस्कता  की आयु पूर्ण कर चुका हो , भारत का नागरिक हो, ट्रस्ट का सदस्य बन सकता है जिसके लिए अन्य न्यासियों की सहमति आवश्यक है |

ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कौन करता है ?

 

चैरिटेबल अथवा धार्मिक ट्रस्ट है तो देवस्थान विभाग के कार्यालय में नियम अनुसार पंजीयन कराया जा सकता है |  महानगरों में या कुछ राज्यों में चैरिटी कमिश्नर भी इसका रजिस्ट्रेशन करते हैं |

प्राइवेट ट्रस्ट में ट्रस्टी कौन हो सकता है ?

अन्य सभी कानूनी योग्यताओं को पूरा करने के पश्चात न्यास के सृजन कर्ता  द्वारा घोषित और नामित व्यक्ति प्राइवेट ट्रस्ट में ट्रस्टी हो सकता है |

ट्रस्टी की नियुक्ति कैसे की जाती है ?

सर्वप्रथम ट्रस्टी की नियुक्ति न्यास के सृजन करता द्वारा विधान नियमावली बनाते समय की जाती है नए ट्रस्टियों की नियुक्ति ट्रस्ट डीड के अनुसार की जाती है, वर्तमान ट्रस्टी को हटाने की प्रक्रिया ट्रस्ट की विधान नियमावली में दी हुई होती है ,यदि ट्रस्टी का पद उत्तराधिकार का पद है तो उसके लिए प्रक्रिया भिन्न होती है |  ट्रस्ट के ट्रस्टियों में परिवर्तन के पश्चात इसकी सूचना संबंधित रजिस्टर को दिया जाना आवश्यक होता है |

ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए कितने सदस्यों की आवश्यकता है ?

 

ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए न्यूनतम दो से अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है अधिकतम सदस्य सुविधा अनुसार रखे जा सकते हैं | सामान्यतया  विषम संख्या में ट्रस्टी रखे जाते हैं ताकि किसी विषय पर मत विभाजन की स्थिति में निर्णायक साबित हो सके |

क्या कोई प्राइवेट ट्रस्ट चैरिटेबल ट्रस्ट हो सकता है ?

एक प्राइवेट ट्रस्ट को उसके संविधान की विवेचना के पश्चात ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि उसकी प्रकृति क्या है, केवल सार्वजनिक कल्याण के कार्य करने वाले ट्रस्ट ही चैरिटेबल ट्रस्ट की श्रेणी में आते हैं इस दृष्टिकोण से प्राइवेट ट्रस्ट चैरिटेबल ट्रस्ट नहीं हो सकता |

क्या कोई धर्मार्थ ट्रस्ट धार्मिक ट्रस्ट को दान दे सकता है ?

 

यदि ट्रस्ट की नियमावली अनुमति देती  है तो कोई भी धर्मार्थ ट्रस्ट समान उद्देश्य वाले ट्रस्ट को दान दे सकता है किंतु उसमें किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ निहित नहीं होना चाहिए और ऐसा दान लोक नीति तथा प्रचलित कानून के विरुद्ध नहीं होना चाहिए

क्या प्राइवेट ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है ?

भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 जो की प्राइवेट ट्रस्ट के मामलों को विनियमित करता है तथा आयकर अधिनियम 1961 के प्रयोजनों के लिए तथा संपत्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए, कानूनी विवादों को समाप्त करने के लिए प्राइवेट ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है |

प्राइवेट ट्रस्ट कैसे बनाया जाता है ?

प्राइवेट ट्रस्ट वसीयत द्वारा भी बनाया जा सकता है या अपनी संपत्ति के बेहतर प्रबंधन करने के लिए या किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए अथवा नाबालिक व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए प्राइवेट ट्रस्ट बनाया जा सकता है | प्राइवेट ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया भारतीय न्यास अधिनियम 1882 में वर्णित है |

धार्मिक ट्रस्ट का लाभार्थी कौन है ?

धार्मिक ट्रस्ट के लाभार्थी श्रद्धालु या आम जनता का एक वर्ग या बड़ा वर्ग हो सकता है |ट्रस्ट की विधान नियमावली में वर्णितदिशा निर्देशों के अनुसार तथा ट्रस्ट के सर्जनकर्ता की इच्छा के अनुसार ट्रस्टियों की सहमति से कानून अनुसार ट्रस्ट के लाभार्थी पूर्व से ही ट्रस्ट डीड में परिभाषित होते हैं | लाभार्थी का सामान्य सिद्धांत यह होता है कि जिसके कल्याण के लिए  ट्रस्ट का निर्माण किया गया है वही उसका लाभार्थी कहलाता है | लाभार्थी के मामले में किसी भी प्रकार का कानूनी प्रश्न होने पर इसका निर्धारण चैरिटी कमिश्नर अथवा सिविल न्यायालय द्वारा किया जाता है |

क्या प्राइवेट ट्रस्ट की संपत्ति भारत में बेची जा सकती है ?

कुछ कानूनी प्रतिबंधों सहित, ट्रस्ट के नियमों तथा न्यायालय की पूर्व अनुमति से प्राइवेट ट्रस्ट से संबंधित संपत्ति लाभार्थियों के हित के लिए और ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विक्रय की जा सकती है संपत्ति में नाबालिक का हित  होने पर जिला न्यायालय की पूर्व अनुमति आवश्यक है  | साथ ही यह गौर करने लायक विषय  है कि यह संपत्ति संबंधी एक पेचीदा मामला है जिसका उत्तर संक्षेप में नहीं दिया जा सकता इस संबंध में आप मौजूदा कानून के अनुसार निर्णय ले सकते हैं अथवा अपने अधिवक्ता से संपर्क करके कानूनी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | एक ही विषय के कई आयाम होते हैं ऐसे में विषय की जटिलता को देखते हुए विशेषज्ञ कानूनी परामर्श व्यवहारिक प्रतीत होता है |

ट्रस्ट का मालिक कौन होता है ?

ट्रस्ट का कोई मालिक नहीं होता ट्रस्ट में या तो ट्रस्ट के सृजन कर्ता  होते हैं या ट्रस्टी होते हैं या ट्रस्ट के लाभार्थी होते हैं किसी व्यक्ति को ट्रस्ट का मालिक कहना कानूनी अज्ञानता का परिचायक है | ट्रस्ट के प्रबंध मंडल द्वारा ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तथा संपत्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए न्यासियों की भूमिका जिम्मेदारी की होती है तथा वह संपत्ति के संरक्षक होते हैं उसके मालिक नहीं होते इस संबंध में अधिक कानूनी जानकारी के लिए दीवानी मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता से संपर्क किया जा सकता है |

 

 

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