चेक बाउंस क्या होता है ?

Cheque Bounce: Rules, Defence, Accusation, Procedures & Punishment(Hindi)

Table of Contents

चेक बाउंस क्या होता है ?

What is check bounce?चेक बाउंस क्या होता है ?

यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति को कोई चेक दिया है और वह चेक उसने विधिक भुगतान के दायित्व के बदले  दिया है तो यह आवश्यक है कि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के अकाउंट में कम से कम उतने  रुपए होने चाहिए जितनी राशि का चेक उसने जारी किया है | अगर उसके खाते में इतने रुपए नहीं होते हैं तो बैंक भुगतान हेतु प्रस्तुत करने पर उस चेक को अनादरित  कर देता है इसी को चेक बाउंस होना कहा जाता है |

चेक बाउंस होने पर क्या सजा मिलती है ?

What is the punishment for check bounce?

चेक बाउंस होना या अनादरण होना  नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत एक दंडनीय अपराध है |धारा 138 एन आई एक्ट में यदि किसी व्यक्ति के द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो जाता है अनादरित  हो जाता है तो उसे 2 वर्ष तक के कारावास की सजा और कोर्ट द्धारा आदेशित दंडात्मक  ब्याज के साथ साथ चेक की रकम के दोगुनी रकम का जुर्माना भी अदा करना पड़ सकता है |

चेक बाउंस हो तो क्या करेंचेक बाउंस के नियम

What to do if a check bounces? Check bounce rulesचेक बाउंस हो तो क्या करें ? चेक बाउंस के नियम

चेक बाउंस का मुकदमा तभी दायर कर सकता है जबकि उसको यदि जो चेक मिला है वह विधिक भुगतान के पेटे  मिला है और वह चेक बैंक में भुगतान हेतु प्रस्तुत करने पर अनादरित  हो जाता है ऐसी दशा में अनादरित  चेक की रकम  वसूली के लिए वह व्यथित व्यक्ति (परिवादी) चेक बाउंस का मुकदमा चेक बाउंस के विशिष्ट कोर्ट जो भारत में जगह जगह स्थापित किए गए हैं उनमें दायर कर सकता है |जिस बैंक में चेक भुगतान हेतु प्रस्तुत किया है उस संबंधित बैंक के क्षेत्राधिकार का जो पुलिस स्टेशन होता है उस पुलिस स्टेशन के क्षेत्राधिकार वाली जो कोर्ट होती है उस संबंधित कोर्ट में चेक बाउंस  का मुकदमा फाइल किया जाता है |  चेक अनादरण   का मुकदमा एक जमानती अपराध होता है |जिस तारीख को चेक बाउंस हुआ है उसके तीस  दिवस के भीतर- भीतर लीगल नोटिस भेजा जाना आवश्यक होता है और जिस व्यक्ति ने चेक दिया था उस व्यक्ति से भुगतान स्वरूप जितनी राशि का चेक दिया गया था उतने रुपयों की मांग लीगल नोटिस के माध्यम से की जाती है यह एक तरह की विधिक चेतावनी होती है कि यदि तय समय में चेक में वर्णित राशि के रुपयों का भुगतान नहीं किया गया तो धारा 138 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में चेक बाउंस का मुकदमा दायर किया जा सकता है |

चेक बाउंस होने पर लीगल नोटिस और कोर्ट प्रक्रिया 

Legal notice and court procedure in check bounce

 

चेक बाउंस के लिए लीगल नोटिस भेजने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की होती है जिसको भुगतान स्वरूप चेक मिला था वह स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से लीगल नोटिस  भेज सकता है | सामान्यतया लीगल नोटिस रजिस्टर्ड डाक द्वारा या स्पीड पोस्ट के द्वारा भेजा जा सकता है | जिस व्यक्ति का चेक बाउंस हुआ है उस व्यक्ति को परिवादी  द्वारा भेजा गया लीगल नोटिस मिल गया है एवं परिवादी ने  उस व्यक्ति को लीगल नोटिस भेज दिया है इस बात का सबूत परिवादी के  पास अवश्य होना चाहिए | यदि आप परिवादी है तो इसके लिए आपको लीगल नोटिस रजिस्टर्ड डाक के मार्फत ही भेजना चाहिए अन्यथा आपके पास इस बात का कोई साक्ष्य नहीं होगा कि आप ने तय समय के अंदर उस व्यक्ति को सूचना दे दी थी कि उसने जो चेक दिया था वह अनादरित हो गया है | लीगल नोटिस की अंतर्वस्तु सामान्यतया यह होती है कि बाउंस  चेक के बारे में आपको पूरा विवरण लिखना होता है |  कितनी राशि का चेक आप ने भुगतान हेतु बैंक में प्रस्तुत किया था और भुगतान हेतु प्रस्तुत करने पर उस चेक का बैंक द्वारा भुगतान नहीं किया गया था यह बात भी लीगल नोटिस में आपको लिखनी होती है साथ ही साथ भुगतान की मांग भी आप को लीगल नोटिस के मार्फत चेक जारी कर्ता व्यक्ति  से करनी चाहिए |लीगल नोटिस प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर- भीतर यदि वह व्यक्ति भुगतान कर देता है जिसने चेक जारी किया था तो चेक अनादरण  का मुकदमा कोर्ट में दायर नहीं किया जाता है | और यदि  चेक जारीकर्ता व्यक्ति 15 दिवस के भीतर भीतर भुगतान करने में असफल रहता है तो 15 दिवस बीतने के पश्चात अगले तीस  दिवस के अंदरमियाद   चेक अनादर का मुकदमा कोर्ट में फाइल करना होता है |  यानी कि चेक बाउंस  होने के पश्चात कुल 45 दिन होते हैं जिनमें से  आखिरी 30 दिन जो होते हैं वो कोर्ट में मुकदमा दायर करने के लिए निर्धारित  होते हैं |

चेक भुगतान हेतु कितनी अवधि के लिए मान्य होता है ?

For what period is a check valid for payment?

किसी भी चेक को उस चेक पर लिखी हुई दिनांक के 3 महीने के भीतर भीतर ही भुगतान हेतु बैंक में प्रस्तुत कर सकते हैं इसके बाद वह चेक मान्य नहीं होता है | यदि चेक को बैंक में भुगतान हेतु प्रस्तुत किए जाने के पश्चात भुगतान हो जाता है तो ठीक है और यदि भुगतान नहीं होता है और चेक अनादरित  हो जाता है खाते में अपर्याप्त निधि होने की वजह से चेक अनादरित हो जाता है तो चेक बाउंस होने के  30 दिनों के भीतर – भीतर लीगल नोटिस संबंधित पक्षकार को भेजता होता है |

 चेक अनादरण  का केस दायर करते समय किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है ?

What documents are required while filing a check dishonor case?What documents are required while filing a check dishonor case?

  • मूल चेक की प्रति,
  • लीगल नोटिस की प्रति एवं उसके प्राप्ति की सबूत की रसीद,
  • चेक रिटर्न मेमो की प्रति,
  • यदि कोई लीगल नोटिस का जवाब मिला हो तो उस जवाबी लीगल नोटिस की प्रति,
  • इसके अतिरिक्त अन्य सभी दस्तावेज जोकि मामले के लेनदेन से संबंधित हो

चेक अनादरण  के केस में परिवादी को क्या साबित करना पड़ता है ?

What does the complainant have to prove in a check dishonor case?

चेक अनादरण  के केस में परिवादी को यह साबित करना पड़ता है कि उसको जो चेक मिला था वह  विधिक भुगतान पेटे   मिला था तथा चेक में उल्लेखित राशि का भुगतान प्राप्त करना उसका विधिक अधिकार है  |  चेक प्रदाता व्यक्ति ने जानबूझकर चेक बाउंस करवाया और उसके खाते में पर्याप्त निधि नहीं होने के बावजूद भी उसने चेक जारी किया जो कि एक अपराध है|

चेक अनादरन के केस में क्या बचाव हैचेक बाउंस में बचाव

What is the defense in case of check dishonor? 

चेक अनादरन के केस में क्या बचाव है? चेक बाउंस में बचाव

चेक अनादरण  के केस में जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है उसे यह साबित करना चाहिए कि जो चेक उसने जारी किया था वह सिक्योरिटी पेटे  जारी किया था |  या फिर यदि वह व्यक्ति साबित कर दें कि जिस व्यक्ति को उसने चेक किया था उस व्यक्ति ने चेक का मिस यूज किया है अर्थात उस व्यक्ति के नाम पर उसने कोई चेक जारी नहीं किया जिसने भुगतान हेतु प्रस्तुत किया था |  यदि बचाव पक्ष  यह साबित कर दें कि उसका चेक खो गया  था और उसने इसकी शिकायत पुलिस में भी दी थी ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का कोई विधिक दायित्व नहीं बनता की खोये हुए चेक के लिए वह पाने वाले व्यक्ति को भुगतान करे | किसी व्यक्ति के खोये हुए या गुमशुदा चेक को भुगतान हेतु  प्रस्तुत करना अपने आप में एक गंभीर अपराध है और मूल्यवान प्रतिभूति या दस्तावेज के बेईमानी से दुरूपयोग का मामला बनता है   | इसके अतिरिक्त चेक को जारी करने वाले व्यक्ति के सहमति के बगैर या चेक को जारी करने वाले व्यक्ति के अलावा किसी भी व्यक्ति को चेक में लिखी गई राशि  या दिनांक  में परिवर्तित करने का कोई अधिकार नहीं है यदि कोई व्यक्ति चेक के जारीकर्ता व्यक्ति की सहमति के बगैर चेक की लिखावट में किसी प्रकार का कोई रद्दोबदल  या संशोधन करता है तो यह एक अपराध है | और इसमें चेक बाउंस के मामले में बचाव कर्ता   की तरफ से यह एक डिफेंस हो सकता है |चेक को एक मूल्यवान प्रतिभूति माना जाता है अर्थात चेक की लिखावट में चेक को जारी करने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई व्यक्ति संशोधन नहीं कर सकता है यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो यह भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में एक अपराध बनता है और इसकी अलग  से सजा हो सकती है

किस प्रकार के चेक को भुगतान हेतु डॉउटफुल चेक माना जाता है ?

Which type of check is considered a doubtful check for payment?

 

यदि चेक अग्रिम भुगतान के तौर पर दिया गया है, अगर चेक सिक्योरिटी पेटे  दिया गया है | यदि चेक के अंदर शब्दों में एवं  अंको में राशि  में किसी तरह का कोई अंतर हो तो वह चेक भी संदिग्ध माना जाता है |  अगर चेक किसी चैरिटेबल संस्था को गिफ्ट या डोनेशन के तौर पर दिया गया है तो वह धारा 138 में कवर नहीं होता |  यदि चेक की इबारत कटी फटी है या चेक कटा फटा है तो वह मान्य नहीं होता है |

 

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