एनजीओ फुल फॉर्म क्या होता है ?
एनजीओ एक “abbreviation” अर्थात संक्षिप्ताक्षर है यदि हम इसकी विवेचना करें तो इसका फुल फॉर्म हिंदी में “गैर सरकारी संगठन” होता है और अंग्रेजी में “Non Governmental Organization” नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन होता है | एनजीओ सरकारी संगठन नहीं होते किंतु यह सरकार द्वारा रजिस्टर्ड होते हैं जो की सामाजिक कल्याण का कार्य करते हैं, सरकार कानून बनाकर उनकी गतिविधियां नियंत्रित कर सकती है और उन पर निगरानी रखती है इसलिए इनको गैर सरकारी संगठन या एनजीओ कहा जाता है | सरकार देश की एकता अखंडता,लोक शांति और कानून व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए तथा अधिकतम जन कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कानून के माध्यम से इनकी गतिविधियां रेगुलेट करती है |
भारत में कुल कितने एनजीओ काम कर रहे हैं ?
सेंट्रल स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट है कि देश में 33 लाख एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) या सीएसओ (सामुदायिक सेवा संगठन) अस्तित्व में है | सरकार के पास एनजीओ का आंकड़ा होने से बेहतर योजनाएं बनाने में मदद मिलती है और गैर सरकारी संगठनों की जन सहभागिता से अधिकतम जनकल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है | देश में इतने सारे एनजीओ होने के बावजूद भी जनकल्याण का कार्य उच्चतम लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया है शायद इसके पीछे यह कारण है कि कई सारे एनजीओ पंजीकृत होने के बाद धरातल पर कार्य नहीं कर रहे हैं इसके पीछे एक बड़ी वजह फंड(धन) की कमी और प्रबंधन की कमी हो सकती है | साथ ही एनजीओ को प्रशिक्षण देने के लिए संसाधन युक्त प्रशिक्षण संस्थान बड़ी मात्रा में उपलब्ध नहीं है इसकी वजह से गैर सरकारी संगठन या एनजीओ अपना स्वयं का जन सहभागिता का आत्मनिर्भर मॉडल खड़ा नहीं कर पाए हैं | साल 2013 में भारत सरकार ने सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) अधिनियम संसद में पारित करके गैर सरकारी संगठनों की मदद करने के तौर पर एक बड़ा कदम उठाया है | कॉर्पोरेट क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास करने के लिए यह अधिनियम लाया गया था किंतु कई सारे कॉरपोरेट क्षेत्र के लोगों ने स्वयं के एनजीओ बनाकर सीएसआर फंड (CSR FUND ) का सही उपयोग नहीं किया है जो की एक चिंता का विषय है |
NGO (एनजीओ) का काम क्या होता है?
एनजीओ के बहुत सारे कार्य होते हैं ,जो कि एनजीओ की विधान नियमावली या संविधान में लिखे हुए होते हैं | एनजीओ के संस्थापक सदस्य एनजीओ (NGO ) की स्थापना करते समय नियमों और उद्देश्यों का एक ढांचा तैयार करते हैं अच्छी तरह से ड्राफ्ट किए गए नियमों को संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम , ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन अधिनियम ,या कंपनी अधिनियम के तहत चैरिटेबल कंपनी के रूप में पंजीकृत कराया जाता है, तत्पश्चात जनकल्याण से संबंधित वो सारे कार्य किए जाते हैं जो की संस्थान की विधान नियमावली में होते हैं मसलन समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा, अनुसूचित जाति, जनजाति बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाकर तथा पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवों की रक्षा और संवर्धन, शिक्षा और चिकित्सा के प्रचार प्रसार में एनजीओ जनता की भलाई का काम करते हैं | संसाधनों एवं क्षमता तथा नियमावली के अनुसार एनजीओ के कार्य क्षेत्र का विस्तार जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं राष्ट्रीय स्तर पर हो सकता है | कई सारे एनजीओ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्य करते हैं| संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि ऐसा कोई भी कार्य एनजीओ के द्वारा किया जा सकता है जो कि उसके विधान नियमावली में वर्णित है साथ ही कानून के हिसाब से प्रतिबंधित नहीं है और जिसमें मानव कल्याण, पर्यावरण संरक्षण या जीव जंतुओं के कल्याण की भावना निहित है | अनुसंधान, शिक्षा चिकित्सा तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी एनजीओ द्वारा कार्य किये जा सकते है | उच्च मानवीय आदर्शो की पालना करते हुए अधिकतम जन कल्याण की भावना मन में रखते हुए एनजीओ द्वारा बहुआयामी( MULTI DIMENTIONAL ) कार्य किए जा सकते हैं | किंतु एनजीओ का कोई भी कार्य लोक नीति, नैतिकता और देश में प्रचलित कानून के विरुद्ध नहीं होना चाहिए |
NGO कौन चला सकता है?
एनजीओ चलाने के लिए एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा नियमावली बनाकर ट्रस्ट, संस्था या चैरिटेबल कंपनी के रूप में राज्य या केंद्र सरकार से पंजीकरण करवा कर कार्य प्रारंभ किया जा सकता है | एनजीओ चलाने के लिए 18 वर्ष से अधिक की आयु प्राप्त करना आवश्यक है जो की भारतीय वयस्कता अधिनियम 1875 के तहत वयस्कता प्राप्त करने की न्यूनतम आयु है | 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों का समूह देश में प्रचलित कानून की जानकारी रखते हुए एक विधान नियमावली तैयार करके संस्था या ट्रस्ट के रूप में अथवा कंपनी अधिनियम के तहत चैरिटेबल कंपनी के रूप में पंजीकरण करवा कर एनजीओ के रूप में अपनी कानूनी पहचान कायम कर सकता हैं | एनजीओ चलाने के लिए एनजीओ को चलाने वाले जन समूह में सेवा की भावना होनी चाहिए और उसके कोई निश्चित उद्देश्य होने चाहिए जो लिखित रूप में हो |
NGO (एनजीओ) को पैसा कौन देता है ?
एनजीओ खोलने वाले संभावित लोगों के दिलों दिमाग में और आम जनता के मन में यह प्रश्न रहता है कि एनजीओ को पैसा कौन देता है कई सारे एनजीओ बड़े स्तर पर काम करते हैं और जनता की भलाई के लिए वृहद स्तर परियोजनाए चला कर पैसा खर्च करते हैं ऐसे में आम जनता के मन में यह प्रश्न होता है कि इतना पैसा एनजीओ को कौन देता है पैसा कहाँ से आता है ? यह प्रश्न अस्वाभाविक नहीं माना जा सकता क्योंकि मानव मन जिज्ञासु होता है ऐसे में इस तरह का प्रश्न जिज्ञासा की वजह से पैदा हो सकता है | एनजीओ के सदस्यों का सदस्यता शुल्क भी एनजीओ की आय का एक स्रोत होता है कई सारे NGO अपना स्वयं का आत्मनिर्भर मॉडल खड़ा करके वस्तुएं एवं सेवाएं बेचकर भी पैसा इकट्ठा करते हैं | इसी तरह से कई प्रकार के धर्मार्थ फाउंडेशन एवं सेवाभावी व्यक्तियों से अनुदान प्राप्त करके तथा नगर पालिका, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकारों से जनकल्याण की योजनाओं के लिए आवंटित बजट जो कि एनजीओ के माध्यम से खर्च किया जाना है प्रस्ताव रिपोर्ट बनाकर पेश करते हैं और प्रोजेक्ट पास करवा के जनकल्याण के कार्य करवाते हैं | एफसीआरए (FCRA ) में पंजीकृत संस्थाओं को भारत सरकार के नियमानुसार विदेशी संस्थाओं एवं सेवाभावी व्यक्तियों से भी पैसा मिलता है | FCRA (एफसीआरए) में पंजीकृत संस्थाओं पर केंद्र सरकार द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाती है क्योंकि विदेशों से प्राप्त होने वाले धन में देश की आंतरिक सुरक्षा की चिंता का मामला भी जुड़ा हुआ होता है | विदेशी अनुदान प्राप्त करने के लिए NGO को Foreign Contribution (Regulation) Act, 2010 तथा
Foreign Contribution (Regulation) Amendment Rules, 2022 (FCRA Rules 2022) के यथा संशोधित नियमों की पालना करनी होती है | इस संबंध में विस्तृत दिशा- निर्देश गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समय-समय जारी किए जाते हैं |
एनजीओ (NGO ) बनाने में कितना खर्च आता है
एनजीओ बनाने में खर्च का आंकलन इस बात पर निर्भर करता है कि आप NGO किस स्तर पर बनाना चाह रहे हैं | यदि आप राज्य स्तर पर NGO बनाना चाह रहे हैं तो प्रत्येक राज्य में एनजीओ पंजीकरण की फीस अलग-अलग है राष्ट्रीय स्तर पर एनजीओ बनाने के लिए फीस अलग है | समय-समय पर सरकार फीस की समीक्षा करती रहती है और आवश्यक होने पर उसमें वृद्धि भी करती है ताकि वास्तव में जनकल्याण का कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति ही एनजीओ का पंजीकरण करवा सके | कुछ लोग केवल टैक्स बचाने के लिए भी एनजीओ बनाते हैं जो की एक गैर कानूनी और गलत प्रवृत्ति है जिसको प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे मानव कल्याण के पवित्र कार्य में लालची लोगों का जमावड़ा हो जाता है जो कि किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता हालांकि एनजीओ बनाने में अत्यधिक पंजीकरण शुल्क भी संविधान के तहत दिए गए नीति निर्देशक तत्वों की भावना के अनुरूप नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे वास्तविक रूप से सेवा कार्य करने वाले व्यक्ति निराश होते हैं | एनजीओ के वैधानिक पंजीकरण शुल्क के अतिरिक्त यदि आप एनजीओ के नियमों की ड्राफ्टिंग किसी अधिवक्ता या कानूनी सलाहकार से करवाते हैं तो ड्राफ्टिंग शुल्क के लिए तथा अधिवक्ता परामर्श शुल्क के लिए अलग से भुगतान करना पड़ता है जो कि प्रत्येक अधिवक्ता के ज्ञान और फीस के मानदंडों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है | एनजीओ बनाने के पश्चात लेखा संबंधी कार्यों के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (C.A ) और अन्य दैनिक कर्मचारियों के लिए अलग से फंड की व्यवस्था करनी पड़ सकती है क्योंकि पंजीकरण के पश्चात संस्थान के आय तथा व्यय के विवरण का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना पड़ता है | इसके अतिरिक्त वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन भी संस्था, ट्रस्ट या कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा करवाना पड़ता है इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही NGO के बजट की योजना बनानी चाहिए | फंड की कमी कई सारे एनजीओ के कार्य नहीं करने की एक बड़ी वजह है इसका निराकरण आवश्यक है |
खुद का एनजीओ कैसे बनाएं ?
खुद का एनजीओ कैसे बनाएं यह प्रश्न कई लोगों द्वारा पूछा जाता है किंतु एनजीओ के मामलों की समझ रखने वाले तथा कानून की जानकारी रखने वाले लोगों के मत में “खुद का एनजीओ ” नाम की कोई चीज नहीं होती है क्योंकि एनजीओ जन कल्याण के लिए बनाए जाते हैं जिसमें किसी का मालिकाना हक नहीं होता | केवल कुछ व्यक्तियों को कानून के हिसाब से प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाती है किंतु वह एनजीओ ट्रस्ट या चैरिटेबल कंपनी के मालिक नहीं होते बल्कि उसका दायित्व निर्वाह करने वाले ट्रस्टी या प्रबंधन समिति के पदाधिकारी होते हैं | यदि आप एनजीओ के संबंध में वास्तविक कानूनी स्थिति जानना चाहते हैं तो आप एनजीओ कानूनों के विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं |
एक एनजीओ में कितने सदस्य होने चाहिए ?
सामान्यतः एनजीओ के लिए दो से अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है , संस्था रजिस्ट्रेशन के लिए 15 व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है | ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए भी पांच से अधिक व्यक्तियों की सामान्यतः आवश्यकता होती है न्यूनतम सदस्यों की संख्या के बारे में कानून में प्रावधान है किंतु अधिकतम सदस्य बेहतर संचालन एवं प्रबंधन की दृष्टि से जितने उचित हो उतने रखे जा सकते हैं | किंतु ध्यान रहे की केवल सदस्यों की भीड़ से संस्था का संचालन नहीं हो सकता | समान उद्देश्य वाले सेवाभावी सदस्यों की आवश्यकता संस्थान या ट्रस्ट या एनजीओ चलाने के लिए पड़ती है | इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए संबंधित विभाग से संपर्क किया जा सकता है अथवा कानून के विशेषज्ञों से जानकारी ली जा सकती है |
एनजीओ के लिए क्या योग्यता है ?
एनजीओ खोलने के लिए किसी डिग्री डिप्लोमा की आवश्यकता नहीं होती देश में कई ऐसे सेवाभावी व्यक्ति हुए हैं जो बड़े-बड़े एनजीओ सफलतापूर्वक चला रहे हैं | एनजीओ चलाने के लिए कानून में किसी डिग्री डिप्लोमा की आवश्यकता नहीं है, हालांकि यदि प्रबंधन या समाजशास्त्र अथवा MSW डिग्री डिप्लोमा हो तो एनजीओ का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकता है किंतु यह कानूनी अनिवार्यता नहीं है | एनजीओ का प्रबंधन करने के लिए कर्मचारीगण या पेशेवर लोगों की सलाह ली जा सकती है और उन्हें सेवा शुल्क का भुगतान किया जा सकता है | वास्तव में एनजीओ चलाने के लिए समर्पण, लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता और सेवा भाव की आवश्यकता होती है तथा जनता के साथ जुड़ाव और जन सहभागिता इसकी सफलता में बड़ा योगदान देते हैं |
क्या हम बिना रजिस्ट्रेशन के एनजीओ खोल सकते हैं ?
यदि आप एनजीओ के लिए किसी प्रकार की सहायता राशि या दान प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको एनजीओ का पंजीकरण कराना अनिवार्य है किंतु व्यक्तिगत स्तर पर सेवा कार्य करने के लिए पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती | कोई भी व्यक्ति मानव कल्याण का कार्य कर सकता है | किंतु एनजीओ का बैंक खाता खोलने के लिए नियमावली एवं पंजीकरण आवश्यक है क्योंकि आज के आधुनिक जमाने की आवश्यकता है और कानून की अनिवार्यता भी है | बिना बैंक खाते के और बिना लेखा-जोखा के एनजीओ का संचालन पारदर्शिता की दृष्टि से उचित नहीं माना जाता और कई प्रकार की कानूनी उलझने पैदा हो सकती है | एनजीओ के रेगुलेशन के लिए समय-समय पर बने कानून की पालना आवश्यक है इसलिए एनजीओ का पंजीकरण अनिवार्य है व्यक्तिगत स्तर पर किए जाने वाले सेवा कार्यों को एनजीओ का कार्य नहीं माना जाता ऐसे सेवा कार्यों में किसी अन्य व्यक्ति या निकाय से अनुदान प्राप्त नहीं किया जाता है | इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए आप कानूनी परामर्शदाता से संपर्क कर सकते हैं या संबंधित सरकारी विभाग से जानकारी ले सकते हैं और नियमों तथा अधिनियमो और गजट नोटिफिकेशन का अध्ययन कर सकते हैं , किसी व्यक्ति की धारणाएं कानून का स्थान नहीं ले सकती कानून पूर्व से ही लिखित है और उसका पालन ऐच्छिक नहीं बल्कि अनिवार्य है , कानून की पालना नहीं करने पर जुर्माने और दंड की व्यवस्था है |
क्या एक व्यक्ति एनजीओ खोल सकता है ?
एक अकेला व्यक्ति एनजीओ नहीं खोल सकता एनजीओ के रूप में पंजीकरण कराने के लिए एक से अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है जो कि प्रत्येक राज्य के कानून के हिसाब से अलग-अलग है सामान्यतः 7 से 15 व्यक्तियों की आवश्यकता एनजीओ खोलने के लिए होती है | एनजीओ के सदस्यों की साधारण सभा होती है और प्रबंध कार्यकारिणी भी होती है नियमानुसार अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष की आवश्यकता होती है ऐसे में एक अकेला व्यक्ति एनजीओ नहीं खोल सकता |